Hindi Kahaniya – मास्क वाला का सफलता – Hindi stories

रामपुर नामक गांव में हमेशा हरियाली थी हरी भरी खेत फूलों की बाग घने पेड़ों से भरकर दिखने में बहुत आकर्षक और सुंदर था । उसी गांव में अभिराम और उसकी पत्नी स्वप्ना उसकी माता यशोदा और उसका पिता राजैया के साथ मिलकर एक घर में रहते थे । वो उसके गांव से शहर तक गाड़ी चलाते हुए उसके परिवार का देखभाल करता था । एक दिन जब वो शहर में गाड़ी चला रहा था तो मास्क पहन के दो लोग उसकी गाड़ी में बैठते हैं। दोनों बात करते हुए कह रहे थे यहां कोरोना वायरस नामक एक भयानक वायरस है और वो एक आदमी से दूसरे को बहुत जल्दी फैलता है । So You Can (Hindi Kahaniya – मास्क वाला का सफलता)

इसी डर से सरकार ने बच्चों के पाठशाला से लेकर बड़ों के कार्यालय तक सबको छुटटी दे दिया है । दूसरे ने कहा हा हां मैंने भी सुना है जब तक ये वायरस पूरी तरह से चले नहीं जाता है हमें भी हमारे गांव में रहना होगा यहां नहीं आना चाहिए । 

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अभिराम जब तक उन आदमियों को उनके घर छोड़ देता है बहुत देर हो जाती है और तब वो वहां से उसके घर चले जाता है । अगली सुबह वो अखबार में भी पड़ता है कि कोरोना वायरस नामक एक भयानक वाइरस बहुत तेजी से फैल रहा है। और घर से बाहर निकलना सुरक्षित नहीं है और सभी को चेतावनी देते हुए मास्क पहन के घर पर रहने के लिए सरकार कहती है । तभी अभिराम सोचने लगा, कोरोना वायरस के बारे में ही शायद वो लोग कल गाड़ी में बात कर रहे थे । अगर घर से बाहर नहीं निकलेंगे तो मास्क पहनने की कोई ज़रूरत नहीं होगी । यह फैसला करके वो गाड़ी चलाने भी शहर नहीं जाता है और घर पर ही रहने का फैसला करता है ।

उसी गांव से शहर जाकर काम करने वाले कुछ लोगों को यह बात पता चलता है और उसके बाद वो उनके गांव वापस चले जाते हैं। लेकिन इनमें से एक को वाइरस होने के कारण उससे एक के बाद एक को वायरस फैलता है । इस डर के कारण उस गांव में कोई भी उसके घर से बाहर नहीं निकलता है । ठीक उसी समय में अभिराम के पिता का सेहत बिगड़ जाता है और उन्हें अभिराम डॉक्टर के पास ले जाता है ।

जांच करने के बाद डॉक्टर कहता है कि उनको कोरोना वायरस है और उनका बिना मास्क के बाहर जाने के कारण ही आया है । और उनको दवाइयां देते हैं और कहते हैं कि घर के सभी सदस्यों को मास्क पहनना बहुत जरूरी है । मास्क का पहला जरूरी होने के कारण दवाइयां खरीदने के बाद बचे हुए पैसों के साथ अविराम मास्क खरीदने जाता है ।

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उस सारी गांव में सिर्फ एक दुकान में मास्क मिलते हुए देख वह हैरान हो जाता है । सारे गांव में सिर्फ एक दुकान मास्क बेचता है और क्यूंकि मास्क पहनना बहुत जरूरी है मुझे पक्का घर खरीदना होगा इसीलिए मास्क खरीदने को दुकानदार के पास जाकर पूछता है । एक मास्क का क्या दाम है? दुकानदार ने कहा सिर्फ १०० रपए साहब । यह सुनकर अभिराम चौंक जाता हैं कहता हैं क्या मास्क का दाम सौ रुपए है । दुकानदार ने कहा जी इस पूरे गांव में सिर्फ मेरे दुकान में मास्क मिलेगा । इसीलिए मैं जितने में बेचता हूं उतने में ही तुम्हें लेना होगा ।

मैंने सोचा कि दवाइयां लेने के बाद बचे पैसों से मैं मास्क खरीद पाऊंगा । लेकिन अब इन पैसों से सिर्फ एक मास्क खरीद पाऊंगा । पर मास्क तो सभी को पहनना होगा । अब मैं क्या करूं ऐसा सोचते हुए वो मास्क खरीदे बिना उसके घर चले जाता है । और सोचने लगता हैं मुझे कोई काम करके पैसे कमा के घर वालों के लिए मास्क खरीदना होगा । इस सोच में पड़े हुए वो किसी से बात नहीं करता है।

और उसे ऐसे देख उसकी बीवी पूछती है बहुत देर से देख रही हूं किस सोच में पड़े हुए आप? उसने कहा मास्कखरीदने में दुकान गया आज और ऐसे में अपनी बीवी को जो कुछ भी हुआ बताता है । उसकी पत्नी की बातें सुनकर वह सोच में पड़ जाती है । फिर उसके बीवी ने कही आपको मास्क के बारे में सोचने की कोई जरूरत नहीं है । अगर आप मेरे विचार के अनुसार करेंगे तो सभी को मास्क आजाएगा ।अभिराम ने कहा क्या कह रही हैं स्वप्ना । मेरे पास मौजूद पैसों से सभी को मास्क कैसे आएगा ।

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फिर स्वप्ना ने कहा आप पहले मेरी बात मानकर कपड़ों की दुकान जाइए और आपके पास बचे पैसों से एक सादा कपड़ा खरीद के ले आए । उसकी बीवी के कहे के अनुसार ही अभिराम एक सादा कपड़ा खरीद कर उसकी बीवी को देता है । तब स्वप्ना उसके पास मौजूद पुरानी कैंची से उस कपड़े को काटके घर में पड़ी हुई पुरानी मशीन को ठीक करके पीस कटे हुए कपड़े को सिला के सबके लिए माँस बनाती है। और बचे हुए कपड़े से कुछ और मास्क बनाकर उसके पति को देती है ।

उसमें सारे मास्क को देख अभिराम आश्चर्य चकित रह जाता है । अगर सौ रुपए में इतनी मास्क बना सकते हैं तो दुकान में एक मास्क का सौ क्यों है। और जो लोग एक मास्क को १०० रुपए नहीं दे सकते हैं उनका क्या हाल होगा? आपसे मेरी तरह कोई मास्क न खरीद पाने के कारण दुखी नहीं रहेगा । ऐसे सोचने लगता है मैं वैसे भी कोई काम नहीं कर रहा हूं । मास्क के बिना कई लोग दुखी हैं और मास्क भी महंगी है । इसीलिए अब मेरी बीवी से मास्क सिल्बके यहीं इसी गांव में बेचना शुरू करूंगा । और इतना ही नहीं कम दाम पर अगर मास्क बेचूंगा तो इस गांव के सारे लोग मुझसे ही खरीद पाएंगे और अपनी अपनी सेहत का ख्याल रख पाएंगे ।

ये सोच कर उस बचे हुए मास्क को गांव में बेचने लगता है। मास्क,मास्क सिर्फ 20 रुपये का एक मास्क आइए आईए । उसके ऐसे कम दाम में बेचने पर बहुत सारे लोग उसके पास मांस खरीदने आते हैं । आए हुए पैसों से वो और सादा कपड़ा खरीदकर उसकी बीवी को सिलने के लिए देता है। और उन मास्कको बेचने लगता है । ऐसे वो बहुत कम समय में खुद का दुकान लगाता है । जल्दी उसके नीचे काम करने के लिए लोगों को नौकरी पर लगाता है ।

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एक दिन जब अभिराम मास्क बेच रहा था तो उस गांव के दुकानदार उसे देखता है । एक समय में मेरे पास मास्क खरीदने के लिए पैसे भी नहीं थे इस आदमी के पास और आप इसने खुद से दुकान लगाया है। कम दाम पर मास्क बेचने के कारण सभी इसे के पास मास्क खरीदने आ रहे हैं और मेरे पास कोई नहीं । कुछ भी करके इसे रोकना होगा वरना मेरा नुकसान हो जाएगा । यह फैसला करके सोचने लगता है । रात के समय में जब इसके दुकान में कोई नहीं रहेगा वहां के मास्क को कपडेको और पैसों को चुरा लूंगा। और तब देखूंगा कि ये मास्क कैसे बनाएगा । हां ।

उसके फैसले के मुताबिक उस रात को अभिराम की दुकान से वो सब कुछ चुरा लेता है । सुबह के समय में कामवाले जब दुकान खोलने आते हैं तो दुकान को खाली देख हैरान हो जाते हैं । हरि बाबरी किसीने हमारी से चीजें चोरी कर लिया है । अभिराम ओहो यह सब देख बहुत दुखी होता है। तभी एक आदमी अभिराम को कहा अभिराम तुम निराश मत हो । मुझे तुम पर विश्वास है । मास्क बनाने के लिए जरूरी कपड़ा मैं तुम्हें दूंगा और जब तुम्हारे पास पैसे होंगे तब मुझे लौटा देना ।

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ऐसे उसे कपड़ा मिलने पर वो वापस उन्हेंसिलता है और मास्क बनवाता है और हमेशा की तरह बेचने लगता है । ऐसे बहुत दिन बीत जाते हैं कुछ दिन बाद मास्क को बेचकर आए हुए पैसों को जमा करके अभिराम को लौटा देता है। और हमेशा की तरह उसका व्यापार करते हुए खुश रहता है । अभिराम को हमेशा की तरह व्यापार करते हुए देख वो दुकानदार चौंक जाता है और सोचता हैं बो इंसान मेहनत से काम करते हुए ईमानदारी से उसका व्यापार चला रहा है इसीलिए मेरी चोरी करने के बावजूद वो उसके दुकान को चला पा रहा है ।

अगर मैंने उसके दुकान से चुराए हुए मासूमों को अपनी दुकान में बेचा तो लोगों को पता चल जाएगा कि मैंने ही चोरी किया है और इन मालिकों का कोई उपयोग नहीं होगा । इससे बेहतर तो यही होगा कि मैं उस आदमी के पास जाकर उसे सच बताकर उसके सामान उसे लौटा दू तब ये मास्क बेकार में नहीं जाएंगे और अभिराम को भी समझाएगा कि मैं सुधर गया हूं । उसके फैसले के मुताबिक दुकानदार अभिराम के पास जाकर उसे सब सच बता देता है और उससे माफी मांगता है । और तो और उसके मास्क भी लौटा देता है । अभिराम उसके चुराए हुए मास्क को वापस पाकर बहुत खुश होता है और वो हमेशा की तरह मास्क बनाते हुए उन्हें कम दाम में बेचते हुए अपने परिवार के साथ खुशी से जीता है ।

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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम हैं ध्रुब मंडल में ओड़िसा के एक छोटे से गाँव में से हूँ और इस ब्लॉग संस्थापक हूँ. में एक ग्रेजुएट स्टूडेंट हूँ. और मुझे टेक्नोलॉजी, एजुकेशन, लाइफ स्टाइल के बारे में लिखना ज्यादा पसन्द आता हैं.

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