Hindi Stories With Moral – सबसे बड़ा प्रायश्चित – हिंदी कहानी

सबसे बड़ा प्रायश्चित

भीमताल गांव में श्याम लाल नाम का एक किसान अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था। बड़े बेटे का नाम नमन और छोटे बेटे का नाम अमन था। नमन बहुत ही शरारती था और हमेशा अपने छोटे भाई अमन को परेशान करता रहता था। ( Hindi Stories With Moral – सबसे बड़ा प्रायश्चित – हिंदी कहानी )

श्याम लाल के पास बस एक छोटी सी जमीन थी। अपनी इसी छोटी सी जमीन पर श्यामलाल बड़ी मुश्किल से खेती करके अपने परिवार को दो समय का खाना खिला पाता था। घर से थोड़ी ही दूर एक कुआं था जहां से श्यामलाल रोज पीने का पानी लाया करता था। 

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एक दिन शाम लाल की तबियत बहुत खराब हो गई। अस्पताल जाने पर डॉक्टर ने श्यामलाल को कुछ दवाइयां दीं और कुछ दिन आराम करने को कहा। यह सब सुनकर श्यामलाल बहुत परेशान हो गया और कहने लगा डॉक्टर साहब मैं अगर आराम करूंगा तो घर में खाने के लिए पैसे कहां से आएंगे। जिस पर डॉक्टर ने कहा देखो भाई वो सब मैं नहीं जानता। अगर आराम नहीं किया तो तबियत और खराब हो जाएगी, और भाई जान है तो जहान है।

डॉक्टर की बात मानकर श्यामलाल दवाइयां लेकर अपने घर आ गया और सारी बातें घरवालों को बताई। फिर श्यामलाल ने नमन और अमन को अपने पास बुलाया और दोनों को एक एक घड़ा देते हुए कहने लगा बेटा आज तक मैं अपने खेत के उस पार वाले कुएं से पीने का पानी लाया करता था लेकिन अब मेरी तबीयत ठीक होने तक तुम दोनों को ही कुएं से पानी लाना होगा।

तुम दोनों ध्यान से पानी भरकर खेत के रास्ते सीधे घर वापस आ जाना। अपने बीमार पिता की बात सुनकर दोनों भाई पानी भरने के लिए कुएं के पास पहुँच जाते हैं। बड़ा भाई नमन छोटे भाई अमन को आदेश देते हुए कहता है अमन मैं तुमसे बड़ा हूं तो मैं कुएं से पानी नहीं निकालूंगा। दोनों घड़े में पानी तुम ही भरो। 

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अपने बड़े भाई की बात मानकर अमन दोनों घड़े में पानी भर लेता है। पानी भरने के बाद घर वापस आने के लिए जैसे ही अमन पानी से भरा घड़ा अपने सर पर रखता है वैसे ही शरारती नमन के दिमाग में एक शरारती खयाल आता है।

आज अमन को आखिर कैसे परेशान करूं। एक काम करता हूं इसके घड़े में छेद कर देता हूं ताकि घर पहुँचते पहुँचते उसका घड़ा खाली हो जाए और फिर पिताजी से उसको खूब डांटपड़ेगी। 

और नमन धीरे से अमन के घड़े में एक छोटा सा छेद कर देता है। नमन की इस शरारत के चलते घर पहुँचने तक अमन का घड़ा आधा खाली हो जाता है पर बेचारे अमन को कुछ भी पता नहीं चलता। 

घर पहुँचने पर नमन बड़ी ही बेचैनी से अमन को डाँट खिलाने का इन्तजार करता रहता है। अमन की नजर जब खाली घड़े पर पड़ती है तो वह श्यामलाल से कहता है पिताजी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। कुएं से तो मैं पूरा पानी भरकर चला था पर यहां आने तक पता नहीं कैसे पानी आधा हो गया। 

नमन की सोच के विपरीत शाम लाल अमन को समझाते हुए कहने लगता है कोई बात नहीं बेटा शायद घड़े से पानी छलक कर गिर गया होगा। जैसे नमन भैया आज पानी लेकर आए कल से तुम भी भैया के जैसे ध्यान से पानी लेकर आना।

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यह सब देखकर नमन को बहुत गुस्सा आ रहा था कि आखिर पिताजी अमन को डांट क्यों नहीं रहे। 

और अगले दिन भी जब दोनों भाई कुएं से पानी लाने गए तो घड़े में छेद होने के कारण फिर से अमन के घड़े का पानी रास्ते में ही गिर गया। और घर आने तक अमन के घड़े का पानी फिर से आधा हो गया।

अब श्यामलाल को शक हो जाता है कि जरूर नमन ने फिर से कोई न कोई शरारत की है जिसकी वजह से बार बार अमन के घड़े का पानी खाली हो जा रहा है।

और रात को जब घर के सारे लोग सो जाते हैं तो श्यामलाल ध्यान से घड़े को देखने लगता है। आखिर ऐसा क्या है कि अमन के घड़े का पानी बार बार खाली हो जा रहा है।

अच्छा तो ये बात है, घड़े के छेद पर नजर पड़ते ही श्याम लाल सारी बात समझ जाता है। 

इसी तरह कई दिन बीत जाते हैं पर शाम लाल किसी को कुछ नहीं कहता। यह सब देखकर नमन को बहुत गुस्सा आ रहा था कि आखिर पिताजी अमन को डांट क्यों नहीं रहे। तभी एक दिन श्याम लाल ने दोनों बच्चों को अपने पास बुलाया और अमन को कुछ पैसे देते हुए कहने लगा।  ये लो बेटा अमन ये तुम्हारी इतने दिनों की मेहनत का इनाम है।

इतना देखते ही नमन गुस्से से आग बबूला हो गया और कहने लगा यह क्या पिताजी इससे ज्यादा मेहनत तो मैंने किया। मैं पूरा घड़ा भरकर पानी लाता था और अमन तो सर आधा घंटा पानी लाता था फिर भलाई नामा अमन को क्यों दे रहे हैं।

श्याम लाल ने नमन को समझाते हुए कहा बेटा असल में अमन के घड़े में एक छोटा सा छेद था जिससे घर लौटते समय घड़े का आधा पानी हमारे खेत में ही गिर जाता था।

मैंने उसी रास्ते मैं कुछ फूलों के बीज लगा दिए थे। रोज का मन के घोड़े से गिरने वाले पानी की वजह से ही वो सारे बीज अब बड़े पौधे बन गए थे।

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आज मैंने शहर से आए हुए कुछ व्यापारियों को वो सारे फूल बेच दिए और उन्होंने मुझे बहुत सारे पैसे दिए और अब मैंने सोच लिया है कि अब मैं फूलों का ही व्यापार करूंगा।

इतना सब सुनकर नमन से अब रहा नहीं जा रहा था और वो तुरंत ही बोल पड़ा पर पिताजी यह सब अमन की मेहनत का नतीजा नहीं बल्कि मेरी बुद्धि का कमाल है। क्या आपको पता है कि अमन के घड़े में छेद मैंने किया था इसलिए नाम अमन को नवी मुझे मिलना चाहिए।

श्याम लाल ने हंसते हुए कहने लगा बेटा नमन ये बात तो मुझे बहुत पहले ही पता चल गयी थी कि अमन के घड़े में छेद तुमने ही किया है और तुम्हें तुम्हारी गलती का एहसास कराने के लिए ही मैंने किसी को कुछ नहीं कहा।  

लेकिन इतने दिन बीत जाने पर भी तुमने खुद से अमन को नहीं बताया कि तुमने उसके घड़े में छेद किया है और ना ही अपनी गलती मानी। इसलिए तुम्हारी गलती की सजा यही है कि सारा ईनाम अमन को दे दिया जाए और तुम्हें कुछ बीना मिले।

तभी छोटे बेटे अमन ने श्यामलाल से कहा नहीं पिताजी यह सही नहीं है। जितनी मेहनत मैंने की है भैया ने तो उससे भी ज्यादा मेहनत की है। जब आप की तबियत खराब थी तब नमन भैया पूरा मटका भर के पानी घर तक लाते थे जबकि मुझे तो सिर्फ आधा घंटा ही पानी लाना होता था।

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यह इनाम हम सब की मेहनत का नतीजा है। यह लोग या इसके नाम पर तुम्हारा भी हक है। 

मुझे माफ कर दीजिए। पिताजी मैंने आज तक अमन को बहुत परेशान किया है पर मैं आज के बाद ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा।

फिर श्यामलाल ने कहा कोई बात नहीं बेटा तुमने अपनी गलती मान ली। यही तुम्हारे लिए सबसे बड़ा प्रायश्चित है।अब से आप सब साथ मिलकर अपना फूलों का व्यापार करेंगे।

तो कैसा लगा आपको ये कहानी कमेंट करके जरूर बताना। 

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