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Intelligent Farmer Story In Hindi (बुद्धिमान किसान)
सखाराम बहुत मेहनती था । उसकी पत्नी लक्ष्मी भी उसे खेती के काम में मदद करते थे । दोनों अपने खेत में बहुत मेहनत करते थे इसलिए उनके खेत में अच्छी फसल होती थी (Farmer Story-Intelligent Farmer – बुद्धिमान किसान)
उनका जीवन निर्वाह बड़े सुख और समाधान से हो रहा था । सखाराम को चार बेटे थे लेकिन वह बहुत ही आलसी थे । दिन भर पेड़ के नीचे बैठकर इधर उधर की बातों में अपना समय बर्बाद करते थे ।
सखाराम को उनके बारे में बहुत ही चिंता होती थी । फिर एक दिन सखाराम उनके पत्नी से लक्ष्मी हमें अच्छे तंदुरुस्त और चुस्त लड़के है पर एक का भी कोई फायदा नहीं ।
फिर सखाराम ने कहा पता नहीं हमारे नसीब में ऐसी औलाद कैसे आई । फिर लष्मी ने कही ये बात नहीं जी ऐसा बुरा मत सोचो समझ आने पर वह काम करेंगे ।
सखाराम – वो वैसा नहीं लक्ष्मी अब अपने बच्चे बच्चे नहीं रहे । एक बार में चंदा और पांडे का समझ सकता हूं पर महादेव और किस्सा का तो शादी का उम्र हो गया पर अभी भी उन्हें अकल नहीं आई ।
लष्मी -अजी सुनिए मैं क्या कहती हूं आप ज्यादा चिंता मत कीजिए मुझे पता है सब ठीक हो जाएगा चलो बहुत समय हो गया कुछ खा लेते हैं आप भी ना चलिए ।
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जीवन भर अपने घर गृहस्थी को चलाते चलाते सखाराम आज पूरी तरह थक चुका था । बच्चों की मदद की अब उसे सख्त जरूरत थी मगर वो आलसी बच्चे कुछ काम के ही नहीं थे ।
ज्यादा मेहनत और बढ़ती उम्र की वजह से सखाराम तो तबियत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी और एक दिन वो बीमार पड़ गया ।
फिर लष्मी से कहा लक्ष्मी आज चार दिन हो गये मैं बिस्तर से उठ भी नहीं सकता । वह अब अगले महीने बीज बोने का समय आ गया और हमने जमीन पर अब तक हल भी नहीं चलाया । मेरे बाद तुम्हारा कैसा होगा लक्ष्मी ।
लष्मी कहा अब सिर्फ आराम कीजिए ऐसी ऐसी असुभ बात न कहिये आपको कुछ भी नहीं होगा । मैं मैं हूं ना। सखाराम कहा हा लष्मी में तुम्हारा सहारा था इसलिए मैं मेरे परिवार को संभाल सका ।
क्या तुम मेरे लिए थोड़ी अदरक की चाय बनाऊंगी । लष्मी कहा हां अभी लाती हूं लाती हूं ।
सखाराम को अब अपने बाद अपने परिवार का क्या होगा इस बात की चिंता होने लगी । अपने बच्चे खूद होकर खेती में काम नहीं करेंगे ये तो उसे मालूम ही था उन्हें मेहनत का महत्व कैसे समझाए ये सखाराम सोचने लगा और वो आँखे बंद करके भगवान का नाम लेने लगा ।
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इतने में उसे एक उपाय सूझा और उसने अपने चारों बच्चों को बुलाया और उनसे बोला बच्चो इस बीमारी से मैं ठीक हो पाऊंगा ऐसा मुझे नहीं लगता । पर अब तुम्हें कोई भी चिंता करने की जरूरत नहीं है ।
क्योंकि मैंने तुम्हारे भविष्य के लिए पूरी व्यवस्था करके रखी है । तुम सबके हिस्से का खजाना मैंने खेत में गाड़ के रखा है । अब मेरे जाने के बाद तुम चारों को खेत में से खोद कर निकाल लेना समझ गए ।
सखाराम की बातें सुनकर लक्ष्मी भी बड़ी आश्चर्य चकित हो गई क्योंकि उसे भी उस धन के बारे में जानकारी नहीं थी । कुछ ही दिनों बाद सखाराम की मौत हो गई ।
उसके बाद उसके बच्चे खेत में गाड़ा हुआ धन पाने के लिए उतावले हो गए और वह चारों मिलकर सारा खेत खोजने लगे ।
चारों ने मिलकर सारा खेत खोद डाला मगर उन्हें किसी भी प्रकार का कोई भी धन नहीं मिला तब बड़ा भाई महादेव बोला अरे तीसरा बाबा ने जो मरने से पहले बताया बो धन तो हाथ में ही नही आया । यानी हमारे बाबा ने मरने से पहले जो हमें बताया वह सब झूठा ।
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चार दिन खेत खोदने के बाद भी हाथ में कुछ न लगने की वजह से वो निराश हो गए । तब उनकी मां लक्ष्मी उनको बोली बच्चों तुमने 4 दिन इतनी मेहनत करके खेत को खोदा है अब तुम्हें बीज बोने में कितना वक्त लगेगा । कल सुबह ही तुम लोग खेत में बीज बो देना ।
मां की बातों को सुनकर वो मान गए । दूसरे दिन सबने मिलकर बीज बोया । उस साल बारिश भी बड़ी अच्छी हुई और बहुत सारी अच्छी फसल भी आई ।
उन्हें बेचकर उन्हें बहुत सारे पैसे मिले । तब लक्ष्मी उन्हें बोलीं बच्चो अब तुम्हारी समझ में आया । तुम्हारे बाबा तुम्हें क्या कहते थे ये वो ही धन हैं जो जमीन में दबा था जो तुमने अपनी मेहनत से मिला ।
माँ हाँ आज हम चारों भाइयों की आँखे खुल गयी । हमें मेहनत का महत्व समझ में आ गया । जमीन में गाड़े हुए धन का राज क्या है हमें पता चल गया ।
लष्मी – वाह वाह वाह शाबाश बच्चो अब तुम कभी मेहनत का साथ न छोड़ना समझे।
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