मीना बेचारी
शहर से बहुत दूर घने जंगलों के बीच एक छोटा सा गांव था। गांव का नाम था प्रेम नगर जैसा गांव का नाम वैसे ही वहां के लोग सभी लोग आपस में भाईचारे और प्रेम के साथ रहते थे।( Jadui Kahani Hindi– मीना बेचारी)
उसमें भी सीता राम का परिवार बेहद सरल और सज्जन परिवार था। सीता राम के चार बेटे वह और एक छोटी बेटी थी। परिवार बड़ा था सो थोड़ा गरीब भी था लेकिन सभी लोग बहुत ही आदर सम्मान और प्रेम के साथ रहते थे।
चार भाइयों के बीच एक छोटी बहन मीना थी। सभी मीना से बहुत स्नेहे रखते थे और अपनी पलकों पर बिठाकर रखते थे। परिवार की गरीबी देखकर सभी भाइयों ने शहर जाकर कमाने को सोचा पर अपनी बहन मीना को अपनी पत्नियों के हवाले सौंप दिया और यह हिदायत दी कि हमारी लाडली बहन मीना को कभी कोई कष्ट न होने पाए।सभी इसे हमारी ही तरह लाड़ प्यार से रखेंगे।
इतना कहकर चारों भाई कमाने के लिए शहर चले गए। भाईयों के शहर चले जाने के बाद भाभियों ने मीना पर अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए और तरह तरह से तर्क देते हुए घर का काम कराने लगे।
छोटी भाबी शांति मीना से बहुत प्यार करती थी लेकिन सभी से डरने के कारण कुछ बोल नहीं पाती थी।
और मीणा घर के बर्तन सफाई से लेकर सभी काम करती थी। यह सब देखकर छोटा बहु उनसे कहती हैं दीदी छोड़ दीजिये न जाने दीजिये।
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फिर एक दिन भाबीओ ने मीणा को कहा जाओ जाकर जंगल से ढेर सारी लकड़ियां लेकर आओ, लेकर जल्दी आओ नहीं तो खाना नहीं मिलेगा।
मीना जंगल जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ कर रोने लगी। तभी उसके के पास से गुजर रहे बड़े से सांप ने मीना से पूछा तुम कौन हो? और क्या बात है? क्यों रो रही हो?
और मीणा उसके सारा कहानी बताई और मीना रोने लगीं।
तभी कई साप आ गए और एक साथ मीना के पास आकर बोला।
बहन हां अब तो तुम हम सबकी बहन हूं मेरी बहन मीना तुम चिंता मत करो लकड़ी हम ले कर चलेंगे।
और कई साथ लकड़ी लेकर चलने लगे और घर तक पहुंचा दिया। और मीणा उन सभी साप को धन्यबाद दता हैं।
भाबिया इतने सरे लकडिया देख के कहने लगे अरे इतनी सरे लकडिया फिर काना बनते हैं और भाभियां मीणा को थोड़ा सा खाने को दे देती हैं।
दूसरे दिन सुबह शांति मीना के पास आकर बोलती है कि भगवान पर भरोसा रखो।
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तभी पीछे से आवाज आई मीना और मीना दौड़कर कविता के पास जाती हैं तो कविता धान की टोकरी की तरफ इशारा करते हुए मीना से बोलती हैं मीना जाओ धान कूटकर चबोल ले आओ ।
चलो जैसे धान कूट कूट चावल लेकर आओ हम चावल और जल्दी से लेकर आओ।
मीना टोकरी लेकर जाती हैं और बगीचे में बैठ कररोने लगती हैं।
तभी एक चिड़िया आकर मीना से पूछती हैं क्या हुआ तुम केउ रो रही हो ? फिर मीणा ने अपने सरे बातें को बताई। फिर चिड़िया ने मीणा के दुःख देखकर उसे कहा मेरे पास चिड़ियों का झुंड है तुम परेशान मत हो मेरीबहन।
फिर चिड़िआ सरे चिड़िया को कही उसकी सहायता करनी है। सभी चिड़िया ठीक है ठीक है कहकर अपनी चोंच से धान फोड़ने लगती हैं और चावल बना लेती हैं और मीना चावल लेकर आती हैं।
सभी भाभियां आश्चर्य से एक साथ बोलती हैं। ये कैसे हुआ। हमें उनमें से क्या ठीक है चलो हम घूमने चलते पकड़कर और मिना को कहा मिना घर साफ करके रखना।
फिर सभी खाना खाकर सो जाते हैं। कई वर्ष ऐसे ही बीत जाते हैं। मीना भी बड़ी हो गई रहती है। अब सभी भाभियों को मीना की शादी की चिंता सताने लगती है। उन्हें यह लगता है कि मीना के भाई जो कुछ भी कमाकर लाएंगे वह तो इसकी शादी में ही खर्च हो जाएगा।
इसीको लेकर सभी भाभियां आपस में बात करती हैं। हमें मीना को रास्ते से हटा देना चाहिए। मेरा पास कुछ उपाय हैं कहकर प्रेमा माधुरी और कविता के कान में कुछ बोलती है। फिर सन्ति कहती हैं जाने दीजिये दीदी फिर कहती हैं तू तो चुप ही रहे हमेशा मीना की मदद करती रहती हो तुम जाओ यहां से, शांति चली जाती है।
मीना के सर पर हाथ फेरते हुए शांति कहती है मीणा कही बर्स हो गयी हैं अब तो तुम्हारा भाई आ ही जायेंगे।मीना रोते हुए शांति के गले से लिपट जाती है।
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मीणा को फिर उसके भाबी बुलाये और कहे मीणा जाओ इस कम्बल को थिक से धो करके लाओ जब तक कला कम्बल सफ़ेद न हो जाये घर में नहीं आना । मीणा रोते हुए कम्बल उठाकर नदी के किनारे धोती रहती हैं, और रोटी रहती हैं।
कुछ देर बाद चारों भाई वहां तक नाव से उतरते हैं और मीना को रोते हुए देखकर पूछते हैं तुम कौन हो? तब मीना अपनी सारी कहानी बताने लगी। मीना की बातें सुनकर सरे भाई अपनी बहन को पहचान लिया और सभी अपने ही गले से लगा लेते हैं ।
सभी मीना को पीछे पीछे छुपाकर घर लाते हैं। उनको देख के सरे बहुये चमक जाते हैं और कहने लगते हैं और अप्प लोग कब आये आईये बैठिए।
फिर भाइयो ने कहा रुको पहले ये बताओ हमारी प्यारी बहन मीना कहा हैं ? और पत्नियों घबरा गए और कहने लगे वो अपने सहेलिओ के साथ खेलने गयी होंगे , अभी अभी तो वो नहाकर एहि खेल रही थी ।
फिर भाइयो ने कहा नहीं पहले मीणा को बुलाओ। सभी इधर उधर सर घुमाकर कर देखते हैं।
फिर भाइयोंने गुस्से से उनको घर से बहार जाने को कहा। तब पत्नियों ने कहा हमें माफ़करदो हमसे गलती हो गयी हैं। फिर पत्नियों को अपने गलतियों का एहसास हुआ और बो सरे मीना से माफ़ी मांगे।
और इस प्रकार सीता राम का परिवार फिर से राजी खुशी एक दूसरे से प्रेम से रहने लगा।