लालची राजमिस्त्री
New Moral Stories In Hindi: New Moral Stories In Hindiबहत समय पहले की बात हैं एक राज मिस्त्री और उनका पत्नी अपने सब कुछ हारने के वजह से बे घर हो गए और गाओ गाओ घूमने लगे हैं काम के लिए। ( New Moral Stories In Hindi- लालची राजमिस्त्री )
राज मिस्त्री अपने पत्नी से -क्या था और क्या हो गया। नसीब ही खराब है। इसलिए हमें यह मठरी सर पे रख के गांव गांव घूमना पड़ रहा है।
मिस्त्री के पत्नी – हम क्या कर सकते हैं ये जो सूखा पड़ा है उसमें हमारेहाथ में कुछ भी नहीं है। हमें एक गांव से दूसरे गांव जाना ही पड़ेगा काम के लिए।


राज मिस्त्री-हा हा काम का जुगाड़ तो करना ही पड़ेगा नहीं तो भूख कैसे मिटेगी।
मिस्त्री पत्नी –पर बताओ तो सही की अब हम कहां जा रहे हैं? कौन से गांव जा रहे हैं? ऐसा कौन सा गांव है मुझे बताओ न जो हमें सहारा देगा, दो वक्त की रोटी देगा।
राज मिस्त्री-यहीं पास में धर्मपुर नाम का गांव है। सुना है कि वहां पैसे वाले लोग रहते हैं। चलो कुछ न कुछ तो व्यवस्था हो ही जाएगी। निराश होने से कुछ नहीं होगा।
राज मिस्त्री पत्नी –सुनो मेरी पास दो सूखी रोटी पड़ी है। अगर यह खत्म हो जाएगी तो हमें तो भूखा ही रहना पड़ेगा तुम कुछ सोचो सोचो ना।
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राज मिस्त्री –नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा। ऊपरवाला जरूर हमारी मदद करेगा। वो देखो वो देखो गांव दिख रहा है। चलो चलो जल्दी जल्दी चलते हैं।
मिस्त्री पत्नी –मुझमें अब बिलकुल ताकत नहीं है। मैं चल नहीं पाउंगी। हम सुबह से चल रहे हैं।
राज मिस्त्री –अरे तुम भी ना चलो। गांव में पहुंच के कहीं छांव के सुस्ता लेंगे उसके बाद कोई नया काम ढूंढने निकलेंगे तो।
मिस्त्री पत्नी – वही ठीक रहेगा चलो ऐसे कितने दिन निकालनी पड़ेंगे पता नहीं ।
अनजान बक्ति गाओ के -अरे अरे जल्दी जल्दी हाट चलाओ क्या कर रहे हो। एतना ढीले हात चलाओगे तो एक मकान बनने को एक अरसा बीत जाएगा।
काम करने वाले-जितना हो रहा है उतना काम करने की कोशिश तो करीना को। इससे ज्यादा जल्दबाजी करूंगा तो सब कुछ गड़बड़ हो जाएगा।
मालिक -हैं मुझे धमकी मत दो। तुम्हारा जितना मुंह चलता है उतना काम भी किया करो।
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काम करने वाले-नहीं जमता तो किसी और को बुला ले जिए ना अरे हमसे जितना काम होगा क्या करेंगे। हम कोई मजदुर थोड़ी हैं।
मालिक -मैं जैसे समझ रहा हूं इनके हाथ में बहुत काम है इसीलिए दादागिरी दिखा रहे हो अपनी। लेकिन क्या करूं इसके अलावा कोई उपाय भी नहीं है इनसे ही काम चलाना पड़ेगा।
फिर राजमिस्त्री और उनके पत्नी चलते चलते थक जाते हैं फिर राज मिस्त्री की पत्नी कहती हैं थोड़ा सा विश्राम कर लेते हैं। और राजमिस्ट्रीसे कही तुम उस तरफ क्या देख रहे हो बताओ तो सही।
राज मिस्त्री – बो देखो बोह देखो, वो सामने मैदान में कोई कॉन्ट्रैक्टर बिल्डिंग बनवा है। देखते ही हाथ में काम करने की खुजली हो रही है।
राजमिस्त्री पत्नी – हिम्मत मत हरो ऊपरवाले पे भरोसा रखो तुम्हें भी सही बक्त पर काम मिल जाएगा। मैं बोल रहा हूँ ना सही कह रही हूं ना ।
मालिक -अरे ये क्या हो गया। ये पर फैला के सो क्यों गया? अब मैं क्या करूं? इसे कोई उठाओ पानी पिलाओ । अब मेरा क्या होगा।
काम करने वाले-हां थोड़ा थोड़ा काम कर लेते बो तो आपको हज़म नहीं हुआ। अब देखिए उसका परिणाम क्या हुआ।
मालिक -अरे कोई है, इसे उठाओ अस्पताल ले जाओ। पता नहीं ये मकान बनाना कब खत्म होगा। बस मेरे जीते जी ये काम खत्म हो जाए।
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फिर राज मिस्त्री ने कहा मालिक वो राजमिस्त्री का काम मुझे पता है अगर आप मुझे भरोसा करे तो मैं अच्छा काम करूंगा।
मालिक -क्या बोल रहे हो। भरोसा नहीं करूंगा तो क्या करूंगा। अब मेरे पास तुम्हारे ऊपर भरोसा करने के अलावा और कोई रास्ता भी तो नहीं है।
फिर राजमिस्त्री ने कहा मैं राजमिस्त्री का काम करता हूं और मेरी पत्नी मेरे हाथ बंटाती है। गांव में कुछ काम नहीं था इसलिए यहां ढूंढता चला आया।
मालिक -थिक हैं चलो चलो लग जाओ काम पे, आज से ही लग जाओ।
फिर राजमिस्त्री काम पे लग जाते हैं।
मालिक – लगता है मुझे बहुत जबरदस्त काम के आदमी मिल गया है। मुँह काम चलता है और इसका हात ज्यादा चलता है या इसे काम करता देख मेरा दिल तो गार्डन गार्डन हो गया है।
राजमिस्त्री के काम को देखकर गाओ के कुछ लोग कहने लगे हैं बाह देख रहा हूँ मालिक को बहुत अच्छे सेमुट्ठी में ले लिए हैं। क्या तरफदारी करने से काम मिल जाएगा?
फिर राजमिस्त्री जबाब दिया हम भाई मेहनत से काम करता हूं इसलिए मैं ज्यादा कमा लेता हूं और कुछ नहीं।
फिर एक दिन राजमिस्त्री के पत्नी उनसे कहा दिन रात इतनी मेहनत करके आपने अपने आपको तो काम में डूबा ही दिया है लेकिन काम के साथ अपनी सेहत का भी तो ध्यान रखनाचाहिए ना।
राजमिस्त्री -अरे भाग्यवान काम मैं करूंगा और मेरा ध्यान तुम रखोगी बस परेशानी खत्म।
राज मिस्त्री पत्नी – नहीं नहीं नहीं अब ज्यादा बात मत करो और खाना खा लो।
राजमिस्त्री – तुम रुक जाओ ना पहले इस काम को खत्म तो कर लूं।
मालिक – काना खाने के समय खाना खालो काम बाद में कर लेना।
राज मिस्त्री पत्नी – सेठजी मुझे पता है अब उनका बहुत ध्यान रख रहे हो।
मालिक -हां सही कहा तुमने। मैं शाम के लिए एक विशेष पुरस्कार के बारे में सोच रहा हूं।
राजमिस्त्री -मेरे लिए पुरस्कार क्या बोल रहे हैं मालिक!
मालिक – हाँ हाँ सही बोल रहा हूं सही बोल रहा हूं। जब तुम बूढ़े हो जाओगे और काम नहीं कर पाओगे तब तुम बैठे बैठे खा सको ऐसी व्यवस्था कर दूंगा मैं तुम्हें हां। ये मेरा तुमसे वादा रहा।
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राजमिस्त्री -सच में मालिक आप बहुत महान है मैं अब और जी जान लगा के काम करूंगा।
फिर एक दिन राजमिस्त्री के पत्नी उनसे पूछा क्या हुआ आज बहार नहीं जाओगे?
राजमिस्त्री -आज काम करने का मन नहीं है पूरी जिंदगी तो काम ही किया है। अब आरामकरूँगा
राज मिस्त्री पत्नी – ठीक है जैसा तुम्हें ठीक लगे।
फिर एक दिन जब राजमिस्त्री काम पे जा रहा था तो उसको देखके मालिक ने कहा ये शाम , शाम इधर आओ
राजमिस्त्री -मालिक काम के लिए जा रहा था तो आपकी नजर पड़ गई तो सोचामिल लू ।
मालिक -क्या हुआ आजकल तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है क्या?
राजमिस्त्री -आपने बिल्कुल ठीक सुना है। अब उम्र भी तो हो गई। इसलिए अब मुझे जिन्दगी भर की छुट्टी ही दे दीजिए ।
मालिक -ऐसा नहीं कि ये चीज मेरे दिमाग में नहीं आई थी। तुम्हें जब छुट्टी चाहिए तब मैं दे सकता हूं लेकिन उससे पहले तुम्हें मेरा एक काम करना होगा।
राजमिस्त्री -क्या काम है बोलिये ना मालिक कहिए?
मालिक – ये खाली जमीन देख रहे हो। इस पर तुम एक मकान बनाना है उसके बाद तुम्हारी छुट्टी।
राजमिस्त्री -ठीक है मालिक आप जैसा बोलेंगे वैसा ही होगा।
फिर उस माकन का काम पूरा कर लेता हैं और मन ही मन अब मेरा काम खत्म हुआ है। अब मेरी छुट्टी हो जाएगी । कब कबसे मन में हो रहा था कि काम खतम हो, और मैं घर जा के बिस्तर पर आराम करूं। पहले की तरह धैर्य नहीं रहा मुझमें और सोचता रहता हूं कि कितनी जल्दी काम खत्म हो जाए।
ये मेरा आखिरी काम है कि ये काम अगर खराब भी हो गया तो क्या फर्क पड़ेगा। वैस किसी तरह काम खत्म हो जाए तो शांति मिले और तो उसके बाद जिसका घर है वो खुद ही संभाल लेगा।
फिर उसके काम को देखकर कुछ लो बोले औरे शाम भाई पहले तो तू मैं इतना खराब काम नहीं करते थे। अब तो तुम सीमेंट भी कम डाल रहे हो ओर माप भी नहीं ले रहे हो। बस फटाफट काम खत्म करना चाहते हैं।
राजमिस्त्री – औरे जल्दी जल्दी काम खत्म करना है तो इतना माप बाप लेना क्या होगा। किसी भी तरह से इस मकान को खड़ा कर दू बस ।
फिर एक दिन मालिक जब माकन देखने आये तो उसने कहा औरे मालिक माकन तो खड़ा हो गया अब तो मेरे छुट्टी ना ?
मालिक ने कहा हाँ बिकुल बिलकुल छुट्टी होगी ,लेकिन ये आखरी बक्त में तुमने ऐसा काम केउन किया ? सीमेंट भी काम लगा इटे भी टेडी लगाई, दरवाज़ा और खिड़की भी बिना नपके लगा दी।
फिर राजमिस्त्री ने कहा लेकिन मालिक अपने तो कहा था अप्प मेरे बाकि जीबों की ब्यबस्था कर देंगे।
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मालिक ने कहा हाँ हाँ मैंने जो बड़ा किया था वो बिलकुल निभाउंगा मैंने जो वादा किया था वो सब एक कागज में लिखकर यह पे लाया हूँ।
राजमिस्त्री – कागज किस काम का मालिक?
मालिक – मैंने सोचा था इस घर तुम्हे उपहार में देने की लिए और तुम्हारा घर तुम अपने हिसाब से बनाओगे ,मैंने एहि सोचा था, और तुमने इसे अपने हिसाब से बना दिया। ये लो अब से ये घर तुम्हारा। और फिर मालिक वह से चला गया।
फिर राजमिस्त्री नेरोते हुए अपना पत्नी से कहा मैंने जो गलती किया वो मैंने ही जनता हूँ ,सोचा था की किसी तरह के इस घर को खड़ा करके काम से मुक्ति पालू। मुझे क्या पता था की ये घर मेरा हो जायेगा।
फिर राजमिस्त्री को अपने गलती का एहसास हुआ और वो जाना की वो मननात और सच्चाई से भटक गया था। तो कैसा लगा आपको ये कहानी कमेंट करके जरूर बताना।