Short Sad Stories (गुमशुदा मुन्ना)
यह कहानी एक पांच साल के लड़के मुन्ना की है. जो अपनी मां और बड़े भाई के साथ गणेश नाम के एक छोटे से गांव में रहता था। वो लोग बहुत गरीब थे. (Short Sad Stories – गुमशुदा मुन्ना)
अपने परिवार का गुजारा करने के लिए मुन्ना का बड़ा भाई गुड्डू और उसकी मां पत्थर उठाने का काम किया करते थे. अपने घर का खर्चा चलाने के लिए मुन्ना का बड़ा भाई गुड्डू पत्थर के आलावा जो काम मिलता किया करता था.
जैसे कि कभी वो बाजार में कुछ सामान बेचता था, तो कभी चलती ट्रेन में चीजें बेचता था, और कभी काम नहीं मिला तो गुड्डू ट्रेन में पैसेंजर सीट के नीचे ढूंढ़ता था. की किसी यात्रियों का कुछ न कुछ रुपये मिल जाए.
लेकिन जैसे भी हो वह अपने माँ की काम में मदद करता था. वो लोग ऐसे ही मेहनत मजदूरी कर रहे थे. ऐसे ही उनके दिन गुजर रहे थे.
तो ऐसे ही एक दिन गुड्डू काम की खोज में निकलता है. और अपने छोटे भाई मुन्ना को साथ लेकर जाता है. वो लोग बाजार में जाते हैं. तभी वहां मुन्ना को गरमागरम जलेबी दिखती है.
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मीठी जिलेबिया देखते ही मुन्ना का जलेबियां खाने का मन होता है. और वो अपने बड़े भाई गुड्डू से जलेबी की मांग करता है.
लेकिन गुड्डू के पास इतने पैसे नहीं थे की उसे बो अपने छोटे भाई को जलेबी खिला सके.
तो गुड्डू बोलता है मुन्ना अभी हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं मैं तुम्हें जलेबी नहीं खिला सकता। और बेचारे मुन्ना को जलेबियां नहीं मिलती.
बेचारा मुन्ना निराश हो जाता है लेकिन फिर वो अपने भाई से बोलता है भैया देखना जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो ढेर सारी जेलेबीआ खाऊंगा और सारी जलेबी की दुकान ख़रीदलूँगा.
मुन्ना की बातें सुनकर गुड्डू मुस्कुराता है और उसे बोलता है हां मेरे भाई जब तू बड़ा हो जाएगा तो तू सरे जलेबियां खरीद लेना.
और फिर वो दोनों वहां से निकल जाते हैं और घर लौटते समय गुड्डू दूध और कुछ राशन खरीदता है और घर आते ही अपने मां के हाथ में दे देता है.
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और अपनी मां से कहता है मां राशन जल्दी से कुछ बनाके दो हमें बहुत भूख लगी है। मुन्ना ने भी सुबह से कुछ नहीं खाया।
फिर मां बोलती है हां पता है बेटा तुम लोगों को बहुत भूख लगी होगी मैं जल्दी से कुछ बनाकर खिलाती हूँ. फिर उनकी मां उन्हें जल्दी से कुछ बनाकर देती हैं,और जब वो खा रहे होते हैं तो मैं प्यार से देखती है.
फिर दोनों बच्चे बोलते हैं बांह मां खाना बहुत ही अच्छा बना है। फिर गुड्डू अपनी मां को भी खाने के लिए बोलता है. मां आप खाना खा लो तो मां बोलती है नहीं बेटा मुझे भूख नहीं है तुम दोनों खालो।
भूख होने के बावजूद खाना कम होने के कारण मां खाने से इनकार कर देती है और दोनों बच्चों की तरफ देखती रहती है, लेकिन गुड्डू और मुन्ना समझ जाते हैं कि खाने की कमी के कारण बेचारी मां को भूखे पेट ही सोना पड़ रहा है.
और इसलिए गुड्डू सोचता है कुछ भी करके मां के लिए खाना लेकर आओ नहीं तो मां को भूखे बैठे सोना पड़ेगा। ऐसा सोचते हुए वह रात को ही काम के लिए निकल रहा होता है.
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उसी समय मुन्ना की नींद खुल जाती है और मुन्ना उससे पूछता है भैया अब कहां जा रहे हैं? मैं भी तुम्हारे साथ आऊंगा. ऐसा कहते हुए गुड्डू के साथ जाने की जिद करने लगता है.
गुड्डू उसे समझाता है, और कहता हैं मुन्ना में काम पर जा रहा हूं तुम इतनी रात को मेरे साथ मत आओ. एहि मां के पास रोको.
लेकिन मुन्ना अपने भाई की एक नहीं सुनता और जिद्द करने लगता है और कहने लगता हैं नहीं भैया में घर में नहीं रुकूंगा. मैं भी आपके साथ जाउंगा, मैं भी आपके काम में मदद करूंगा, मुझे अपने साथ ले चलो.
ऐसा कहके मुन्ना अपना भाई से जिद करने लगता है जिसके कारण गुड्डू उसे साथ ले जाता है और फिर दोनों रेलवे स्टेशन जाते हैं.
रेलवे स्टेशन जाते ही ट्रेन आ जाती है और ट्रेन जैसे ही रुकती है वो दोनों यात्री उतरते ही, ट्रेन में चढ़ जाते हैं. और यहां वहां पैसेंजर सीट के नीचे देखते हैं की बहा से उन्हें कुछ न कुछ पैसे मिल जाए.
पर उनके हाथ कुछ भी नहीं आता. फिर दोनों अगले स्टेशन जा पहुंचते हैं. ट्रेन से उतरते ही मुन्ना और गुड्डू प्लैटफॉर्म पर सामने ही कुर्सी पर बैठ जाते हैं.
और वहां थकान के कारण मुन्ना की आँख लग जाती है. गुड्डू उसे बहुत उठाने की कोसिस करता हैं. और मुन्ना उठ हमें काम की खोज में जाना है. हमें जल्दी से मां के लिए खाना भी तो ले जाना है.
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पर मुन्ना थकान के कारण सो जाता है लेकिन गुड्डू को काम की तलाश में जाना होता है. मुन्ना नींद में होने के कारण गुड्डू उसे अपने साथ नहीं ले जा सकता था.
इसीलिए गुड्डू सोचता है कि जब तक मैं काम से वापस आता हूं तब तक यही सोने देता हूं. और मैं जल्दी से काम खत्म करके वापस मुन्ना के पास आ जाता हूं.
ऐसा सोचते हुए गुड्डू मुन्ना से बोलता है मेरे आने तक तुम यही पैर सो जाओ कहीं मत जाना, मैं काम खत्म करके थोड़ी ही देर में वापस तुम्हे यहाँ लेने आऊंगा.
ऐसा बोलकर गुड्डू वही मुन्ना को प्लेटफॉर्म पर छोड़कर काम पर चला जाता है. फिर कुछ देर बाद मुन्ना की आँख खुलती है. और वह सोचता है अरे भइया अभी तक नहीं आये.
औरे अब गुड्डू अभी तक नहीं लौटा, इसी वजह से मुन्ना गुड्डू को ढूंढने के लिए निकलता है. तभी उसे अपने भाई की बात याद आती है कि मेरे आने तक कहीं मत जाना.
और इस वजह से मुन्ना थोड़ी देर वहीं बैठ जाता है. इधर गुड्डू काम खत्म करके वापस आ ही रहा होता है वह मन ही मन सोचता है कि मेरा भाई उठ गया होगा मुझे ढूंढ रहा होगा.
अकेला इतनी रात में घबरा जाएगा ऐसा सोचते हुए जल्दबाजी में स्टेशन की तरफ आ रहा होता है तभी उसका एक्सिडेंट हो जाता है और वह अपने भाई के पास वापस पहुंच ही नहीं पाता.
आधी रात हो जाती है, पूरा स्टेशन खाली हो जाता है,अभी तक मुन्ना के भाई नहीं आया, मुन्ना घबरा जाता है और अपने भाई गुड्डू को इधर उधर ढूंढने लगता है.
और ढूंढते ढूंढते मुन्ना सामने खड़ी हुई खाली ट्रेन में चढ़ जाता है और अपने भाई गुड्डू को जोर जोर से आवाज लगाता है. लेकिन गुड्डू वहां भी नहीं रहता.
और अपने भाई को ढूंढते ढूंढते मुन्ना थककर वहीं ट्रेन में बैठ जाता है पैर ट्रैन के अन्दर भी गुड्डू उसे नहीं मिलता और गुड्डू का इंतजार करते हुए मुन्ना वहीं पर बैठ जाता है.
बहुत रात हो जाने के कारण वहां पर मुन्ना ली आँख लग जाती है. बेचारा छोटा सा लड़का अपने भाई के इंतजार में वहीं ट्रेन में ही सो जाता है.
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इस बात से अनजान कि उसके भाई का एक्सिडेंट हो चुका है और जब उसकी नींद खुलती है तब सुबह हो चुकी होती है और ट्रेन चल रही होती है, इस वजह से मुन्ना घबरा जाता है और ट्रेन से उतरने की कोशिश करता है.
लेकिन ट्रेन के सारे दरवाजे लॉक रहते हैं। मुन्ना बहुत डर जाता है और ट्रैन में हर तरफ भागने लगता है और जोर जोर से चिल्लाता है. दरवाजा खोलो कोई मेरी मदद करो कोई है?
मुझे बचाओ बचाओ कोई तो मेरी आवाज़ सुनो, दरवाजा खोलो, खोला दरवाजा मुझे मेरे भय के पास जाना है बेचारे मुन्ना का रो रोकर बुरा हाल होता है.
और मुन्ना थककर वहीं पर खिड़की के पास बैठ जाता है और बाहर की ओर आवाज लगाता है इसी उम्मीद में कि शायद उसकी आवाज सुनकर उसकी मदद करेंगे.
अब क्या होगा मुन्ना का? क्या उसके घरवाले उसे ढूंढ सकेंगे?
क्या मुन्ना अपने परिवार और अपनी मां से मिल पाएगा? दोस्तो आपको क्या लगता है? हमें कमेंट करके ज़रूर बताइए। धन्यबाद